मंगलवार, 25 सितंबर 2018

भारत में कृषि AGRICULTURE IN INDIA 

भारत में कृषि

– भारत एक कृषि प्रधान देश है क्योंकि आज भी भारत के कुल श्रम शक्ति का 54% भाग कृषि क्षेत्र में रोजगार पाता है।

– भारत में कुल 15 कृषि जलवायुवीक प्रदेश पाए जाते हैं।

– हर पौधा एक विशिष्ट जलवायु दशा में ही अपना विकास कर सकता है यही कारण है कि भारत में तीन प्रकार की फसल ऋतुएँ पाई जाती हैं।

1- खरीफ फसल

– खरीफ फसल मुख्य रूप से मानसून काल की फसल है।

– जून-जुलाई में बोया जाता है और अक्टूबर में काट लिया जाता है।

– धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, – खाधान्न

– मूंग, उड़द, सोयाबीन, लोबिया – दलहन

– सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, तील, अंडी, कपास तंबाकू – तिलहन

– सोयाबीन दलहन एवं तिलहन दोनों की श्रेणी में आता है।


2- रबी फसल

– शीत ऋतु की फसल

– Oct – nov मैं बोला जाता है और apr – may में काटा जाता है।

खाद्यान – गेहूँ, जौ

दलहन – मटर, चना, अरहर, मसूर

तिलहन – सरसों

नकदी फसल – गन्ना, बरसीम – मवेशियों का चारा

3 – जायद फसल

– रबी और खरीफ के बीच का मौसम

– ग्रीष्म ऋतु की फसल

– पानी की कमी अर्थात आर्द्रता की कमी हो जाती हैं जिसके कारण ऐसी फसलें उगती हैं जो अपने अंदर लंबे समय तक नमी धारण कर सके।

– खरबूजा, तरबूज, खीरा, ककड़ी

– मूंग, उड़द

– अर्थात मूंग और उड़द खरीफ एवं जायद दोनो के फसल हैं।

कंटूर कृषि या समोच्च कृषि

– समोच्च अर्थात समान ऊँचाई

– पर्वतीय ढालदार जमीन पर वर्षा की पानी बहुत तेजी से प्रवाहित होती हैं जिसके परिणामस्वरूप ढाल की मिट्टी तथा मिट्टी तथा मिट्टी के पोषक तत्व वर्षा जल अपने साथ बहा ले जाती हैं। वर्षा जल ढाल पर इतनी तेजी से प्रवाहित होती हैं कि ढाल पर की मिट्टी नमी ग्रहण नही कर पाती ।


इस समस्या से निदान पाने के लिए कंटूर कृषि या समोच्च कृषि का विकास किया गया जिसके तहत पहाड़ी ढालो को काटकर सीढ़ी नुमा खेत बना दिया जाता है जिसके कारण वर्षा जल धीरे-धीरे प्रवाहित होता है तथा सीढियो पर मेड़ बना दिया जाता है जिससे वर्षा जल का ठहराव होता है जिससे मिट्टी नमी धारण कर लेता है। ऐसे कृषि के तहत एक सीढ़ी पर एक तिरही की फसल उगाई जाती है।

नकदी फसलें या व्यापारिक फसले

– जिन फसलों को उपभोग के लिए न उगाकर व्यापारिक लाभ के लिए उगाया जाता है उन्हें नगदी फसल या व्यापारिक फसल कहा जाता है।

– मूंगफली, तंबाकू, गन्ना, जूट, कपास, सूरजमुखी, चाय, कॉफी

Trap crop

– खेतों को कीट पतंगों और खरपतवार से बचाने के लिए मुख्य फसल के साथ जो फसल लगाए जाते हैं उन्हें trop crop कहते हैं।

Ex- कपास के पौधों को cotton red bug नामक कीट से बचाने के लिए चारों तरफ मेडो पर भिंडी उगाए दिए जाते हैं जिससे किट भिंडी पर ही उलझ कर रह जाते हैं।

Energy crop

– जिन फसलों को अल्कोहल या बायोडीजल बनाने के लिए उगाया जाता है उन्हें energy crop कहते हैं।

Ex – गन्ना, आलू, जटरोफा, मक्का

– सर्वाधिक गन्ना उत्पादक देश ब्राजील है।

देश के प्रमुख खाद्यान फसलें

चावल – धान

– धान ग्रेमीनी कुल का पौधा है।

– चावल का वानस्पतिक नाम ओराईजा सटाइवा है।

– चावल एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है।

– दुनिया में चावल की खेती के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र भारत में हैं। लेकिन चावल उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है अर्थात प्रति हेक्टेयर उत्पादन में चीन भारत से आगे है।

– देश में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल एवं तमिलनाडु में चावल की तीन फसलें पैदा की जाती हैं।

1- ओस – शरद ऋतु में अर्थात मानसून काल में

2- अमन – शीत ऋतु में

3- बोरो – ग्रीष्म ऋतु में

– देश में सर्वाधिक चावल उत्पादक 3 राज्य क्रमशः पश्चिम बंगाल, यूपी तथा आंध्र प्रदेश हैं। हालांकि चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन पंजाब राज्य में अधिक होता है क्योंकि पंजाब देश का सर्वाधिक सिंचित राज्य है अर्थात पंजाब प्रतिशत क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सर्वाधिक सिंचित राज्य है पंजाब का 97 प्रतिशत क्षेत्रफल सिंचित है।

– देश में चावल की खेती के अंतर्गत सबसे ज्यादा क्षेत्र पश्चिम बंगाल राज्य में है।

– चावल को अत्यधिक धूलने या पॉलिश करने से चावल के ऊपरी परत में विधमान विटामिन B, अर्थात थायमिन नष्ट हो जाता है यही कारण है कि जिन क्षेत्रों में लोग पॉलीस वाला चावल का प्रयोग करते हैं उनमें बेरी बेरी रोग पाया जाता है।

– गोल्डन धान चावल की एक प्रजाति है जिसमें विटामिन ए अर्थात बीटा-कैरोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है।

– सर्वाधिक फसल क्षेत्रफल धारक राज्य – उत्तर प्रदेश, राजस्थान

– सर्वाधिक सिंचित फसल – गन्ना, गेहूं

परंतु धान को सर्वाधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है और खरीफ फसल है लेकिन गेहूं एवं गन्ना रबी ऋतु की फसल है (ठंडा का मौसम) यही कारण है कि गन्ना एवं गेहूं की सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

– सर्वाधिक कृषि निर्यात – चावल, कपास समुद्री उत्पाद (मछली)

– सर्वाधिक कृषि आयात – दाल

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