मंगलवार, 25 सितंबर 2018

भारत में कृषि संसाधन

वाणिज्यिक कृषि (Commercial Farming)

इस प्रकार की कृषि के मुख्य लक्षण आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है। कृषि के वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग है। जैसे – हरियाणा और पंजाब में चावल एकवाणिज्य फसल है परंतु ओडिशा में यह एक जीविका फसल है।

रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है। इस प्रकार की खेती में लंबे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है। रोपण कृषि, उद्योग और कृषि के बीच एक अंतरापृष्ठ (Interface) है। रोपण कृषि व्यापक क्षेत्र में की जाती है जो अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है।

भारत में चाय, काॅफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि महत्त्वपूर्ण रोपण पफसले हैं। असम और उत्तरी बंगाल में चाय, कर्नाटक में काॅफी वहाँ की मुख्य रोपण फसलें हैं। चूँकि रोपण कृषि में उत्पादन बिक्री के लिए होता है इसलिए इसके विकास में परिवहन और संचार साधन से संबंधित उद्योग और बाशार महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

शस्य प्रारूप (Cuisine format)

भारत में बोई जाने वाली फसलों को अनेक प्रकार को खाद्यान्न और रेशे वाली फसलें, सब्जियाँ, फल, मसाले इत्यादि शामिल हैं। भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं,

रबीखरीफजायद

रबी फसल –  शीत ऋतु में अक्तूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काटा जाता है। गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों कुछ मुख्य रबी फसलें हैं। यद्यपि ये फसलें देश के विस्तृत भाग में बोई जाती हैं उत्तर और उत्तरी पश्चिमी राज्य जैसे – पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश  गेहूँ और अन्य रबी फसलों के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण राज्य हैं।
शीत ऋतु में शीतोष्ण पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा इन फसलों के अधिक उत्पादन में सहायक होती है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में हरित क्रांति की सफलता भी उपर्युक्त रबी फसलों की वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

खरीफ फसलें – यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर में काट ली जाती हैं। इस ऋतुमें बोई जाने वाली मुख्य फसलों में चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुर , अरहर, मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली और सोयाबीन शामिल हैं।

चावल की खेती मुख्य रूप से असम, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्त्वपूर्ण फसल बन गई है। असम, पश्चिमी बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें – आॅस, अमन और बोरो बोई जाती हैं।

जायद फसलें – रबी और खरीफ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को जायद कहा जाता है। जायद ऋतु में मुख्यत तरबूज, खरबूशे, खीरे, सब्जियों और चारे की फसलों की खेती की जाती है। गन्ने की फसल को तैयार होने में लगभग एक वर्ष लगता है।

भारत में फसलों की श्रेणियां

भारत में प्रमुख फसलों को उनके उपयोग के आधार पर चार मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

खाद्य फसलों (गेहूं, मक्का, चावल, बाजरा और दलहन आदि)नकद फसलों (गन्ने, तंबाकू, कपास, जूट और तिलहन आदि)बागान की खेती (कॉफी, नारियल, चाय और रबड़ आदि)बागवानी फसलों (फलों और सब्जियां)

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