किसानों के पुराने और बेकार हो चुके औजारों तथा मशीनों को हटाकर उनके स्थान पर नए आधुनिक यंत्र उपलब्ध कराने के नीतिगत कार्यक्रम अपनाए गए हैं। इसके अंतर्गत उन्हें ट्रैक्टर, पावर ट्रिलर, हारवेस्टर व अन्य मशीनें और सीमा शुल्क सेवा, मानव संसाधन विकास के लिए सहयोगी सेवाएं तथा परीक्षण, मूल्यांकन, अनुसंधान विकास आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। कृषि यंत्रों के उत्पादन के लिए एक बुनियादी औद्योगिक ढांचा विकसित किया जा चुका है। विस्तार और प्रदर्शन के जरिए तकनीकी दृष्टि से आधुनिक उपकरण अपनाए गए हैं और संस्थागत ऋण की व्यवस्था की गई है। किसानों ने संसाधनों के संरक्षण के लिए भी उपकरणों को अपनाया है।
सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं, जैसे-खेती के लिए जल-व्यवस्था पर वृहद् कृषि प्रबंधन, तिलहन और दलहन के लिए प्रौद्योगिकी मिशन, बागवानी पर प्रौद्योगिकी मिशन और कपास के प्रौद्योगिकी मिशन के अंतर्गत किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वे अपने लिए कृषि संबंधी औजार और मशीनें खरीद सकें।
कृषि मशीनरी के बारे में प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान
खेती की मशीनों से संबंधित प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों (एफएमटी ऐंड टीआई) की स्थापना मध्य प्रदेश के बुदनी, हरियाणा के हिसार, आंध्र प्रदेश के गार्लादिने और असम के विश्वनाथ चेरियाली में की गई है। यहां प्रतिवर्ष करीब 5,600 लोगों को कृषि मशीनीकरण के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। इन संस्थानों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार ट्रेक्टर सहित अन्य कृषि मशीनों का परीक्षण तथा कार्यदक्षता का मूल्यांकन भी किया जाता है। शुरू से 1,10,712 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और 31 मार्च, 2009 तक 2,584 मशीनों का परीक्षण हो चुका है। इन संस्थाओं ने 2008-09 के दौरान 5,894 लोगों को प्रशिक्षित और 163 मशीनों का परीक्षण किया।
नवविकसित कृषि/बागवानी उपकरणों का प्रदर्शन
कृषि-उत्पादन प्रणाली में नई प्रौद्योगिकी प्रारंभ करने के उद्देश्य से नए विकसित/उन्नत कृषि एवं बागवानी उपकरणों के प्रदर्शन की एक योजना में मंजूर की गई थी। इसे अब केंद्रीय क्षेत्र की पुनर्गठित योजना प्रशिक्षण, परीक्षण और प्रदर्शन के जरिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन एवं सुदृढ़ीकरण का एक घटक बना दिया गया है। इस घटक के अंतर्गत कार्यान्वयन एजेंसियों को नए/उन्नत उपकरणों की खरीद और प्रदर्शन के लिए शत-प्रतिशत सहायता-अनुदान दिया जाता है। इस योजना को राज्य/केंद्रीय सरकार के संगठनों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इस घटक से किसानों को नए कृषि/बागवानी उपकरणों को अपनाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिली है। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सहायता के लिए प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर (आईसीएआर एवं एसपीसीआई) दो संगठनों को राशि जारी की जाती है। वर्ष 2008-09 नए उपकरणों के 11,214 प्रदर्शन किए गए, जिससे 1,52,364 किसानों को लाभ पहुंचा।
प्रशिक्षण की आउटसोर्सिंग (बाहरी संस्थानों में प्रशिक्षण)
यह दसवीं पंचवर्षीय योजना में केंद्रीय क्षेत्र की योजना “प्रशिक्षण, परीक्षण और प्रदर्शन के जरिए कृषि मशीनरी का उन्नयन और सुदृढ़ीकरण” के अंतर्गत स्वीकृत घटक है। इसके अंतर्गत बड़ी संख्या में
किसानों को निकटवर्ती स्थानों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। यह 2004-05 से प्रभावी है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन प्रत्येक राज्य के चुनिंदा संस्थानों के जरिए किया जाता है। इनमें राज्य कृषि विश्वविद्यालय, कृषि इंजीनियरी कालेज/पॉलिटेक्निक्स आदि शामिल हैं। विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए 2008-09 में 27.20 लाख रूपए जारी किए गए।
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