सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

राष्ट्रीय बांस मिशन

देश में बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय का कृषि एवं सहकारिता विभाग देश के 27 राज्यों में राष्ट्रीय बांस मिशन का क्रियान्वयन कर रहा है। योजना के लिए वर्ष 2006-07 से 2010-11 के लिए 568.23 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं।

मिशन का उद्देश्य

बांस क्षेत्र का क्षेत्रीय विशिष्टता के आधार पर प्रोत्साहन। क्षमता वाले, क्षेत्रों में बेहतर किस्म के बांस लगाने को बढ़ावा देकर क्षेत्र का विस्तार।

बांस और बांस आधारित हस्तशिल्प के विपणन को प्रोत्साहन के विकास के लिए संबद्ध भागीदारों में सहयोग बढ़ाना।

परंपरागत और आधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी का विकास एवं प्रसार। कुशल और अकुशल लोगों के लिए, खासकर बेरोजगार युवाओं के लिए, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।

वित्तीय समीक्षा

वर्ष 2006-07 में 15 राज्यों के लिए 7570.60 लाख रूपए जारी किए गए। वर्ष 2007-08 में अनुसंधान एवं विकास के लिए 359.80 लाख रूपए सहित 11439.62 लाख रूपए दिए गए। वित्तीय वर्ष 2008-09 में अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के लिए 123.74 लाख रूपए सहित विभिन्न राज्यों/क्रियान्वयन संस्थानों को 8466.60 लाख रूपए जारी किए गए।

चालू वित्तीय वर्ष में 7000 लाख रूपए का बजट प्रावधान है। इसमें से अभी तक 775.30 लाख रूपए छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मिजोरम और नगालैंड को दिए जा चुके हैं।

उपलब्धियां

वन और गैर-वन क्षेत्रों का 1,00,456 हेक्टेयर बांसबागान के तहत लाया गया है। वर्तमान बांसबागान के 28043 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार बांस उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया गया। अच्छे किस्म के पौध उपलब्ध कराने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में 996 बांस नर्सरियां स्थापित की गईं। बांस बागान के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए 2006-07 से 2008-09 तक 29290 किसानों और 3653 कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। इसके विस्तार और आम जागरूकता पैदा करने के लिए 28 राज्य और 332 जिला स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। बांस और बांस उत्पादनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए बांस के थोक खुदरा बाजारों की स्थापना की गई।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें