पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बागवानी के एकीकृत विकास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन
सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में बागवानी की फसलों के एकीकृत विकास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन पर केंद्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम इस वर्ष के दौरान जारी रहा। इस योजना को जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल में भी लागू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य उत्पादन, फसल के बाद और खपत की कड़ी को जोड़ने के लिए पर्याप्त, समुचित और समय रहते ध्यान देने वाले उपाय करना है जिससे सपाट और उर्घ्वस्थ सिंचाई के माध्यम से सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाया जा सके। लघु किसान कृषि व्यापार संगठन (एसएफएसी) योजना के समन्वय में शामिल है।
प्रौद्योगिकी मिशन बागवानी विकास के सभी पहलुओं से संबंधित अपने चार/लघु मिशनों के माध्यम से एक सिरे से दूसरे सिरे तक विचार करता है। लघु मिशन-I में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अनुसंधान का समन्वयन और कार्यान्वयन शामिल है। लघु मिशन-II में कृषि विभाग द्वारा समन्वित उत्पादन और उत्पादक गतिविधियों में सुधार लाना और राज्य के कृषि/बागवानी विभागों द्वारा उन्हें लागू करना शामिल है। लघु मिशन-III में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा फसल के बाद के प्रबंधन विपणन और निर्यात में समन्वय रखा जाता है और लघु मिशन-IV में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रसंस्करण उद्योग में समन्वयन और कार्यान्वयन किया जाता है। राज्य स्तरीय लघु किसान कृषि व्यापार संगठनों को निचले स्तर पर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और उन्हें लागू करने वाले अधिकतर राज्यों का निरीक्षण के लिए गठित किया गया है। प्रौद्योगिकी मिशन के अंतर्गत वार्षिक कार्य योजनाओं/प्रस्तावों के आधार पर राज्यों को फंड उपलब्ध कराए जाते हैं जो संबंधित राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन समिति द्वारा स्वीकृत की जाती है।
प्रमुख उपलब्धियां
विभिन्न बागवानी फसलों के अंतर्गत 2008-09 तक बहुत प्रगति की गई है। पूर्वोत्तर तथा हिमालय क्षेत्र से 494343 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया है। इनमें फल 303667 हेक्टेयर, सब्जी 77882 हेक्टेयर, मसाले 61985 हेक्टेयर, पौध फसलें 10443 हेक्टेयर, औषधि 6079 हेक्टेयर, सुगंधित पौधे 8640 हेक्टेयर, कंद मूल 1540 हेक्टेयर, फूल 24042 हेक्टेयर शामिल हैं। इसके अलावा 47 थोक बाजार, 262 ग्रामीण प्राथमिक बाजार, 64 अपनी मंडियां, 18 ग्रेडिंग प्रयोगशालाएं, 31 रîाुमार्ग और 49 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गईं। बेहतर उत्पादन के लिए मूलभूत सुविधाएं 935 नर्सरियां, 10032 सामुदायिक जल टैंक, 11106 ट्यूबवेल, 26 ऊतक विकास इकाइयां, ग्रीन हाउस 2496025 वर्ग मीटर, 25 आधुनिक पुष्पोत्पादन केंद्र, 25 खुंब ईकाइयां, 15785 कंपोस्ट ईकाइयां, 164960 किसानों/प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, 67329 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। परंपरागत फसलों में बेहतर उत्पादन
प्रौद्योगिकी के अलावा नींबू, केला, अनन्नास, किवी, सेब, गुलाब, आर्किड, टमाटर, तरह-तरह की मिर्चों के व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा दिया।
वर्ष 2007-08 में 323.40 करोड़ रूपए के बजट आवंटन में 321.76 करोड़ रूपए से 127850 हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी फसलों के अंतर्गत लाया गया (फल 82494, सब्जी 16306, मसाले 11692, पौध फसलें 2125, औषधीय और सुगंधित पौधे-3760 हेक्टेयर आदि)। फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ढांचागत सुविधाएं प्रदान की गईं। इनमें 165 नर्सरियां, 1877 सामुदायिक जल टैंक, 3068 ट्यूबवेल, 350953 वर्ग मीटर ग्रीन हाउस, 1766 कंपोस्ट ईकाइयां, 37524 किसानों, 18325 महिलाओं को प्रशिक्षण के अलावा बाजार और प्रसंस्करण ईकाइयों की स्थापना की गई जो परियोजना आधारित थी। पिछले वित्तीय वर्ष 2008-09 में विभिन्न बागवानी फसलों के अंतर्गत 148071 हेक्टेयर क्षेत्र लाया गया (फल 104064, सब्जी 20333, मसाले 12, पौध फसलें 1902, औषधीय और सुगंधित पौधे 3429 हेक्टेयर आदि)। फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए 59 नर्सरियां, 838 सामुदायिक प्रति टैंक, 2088 ट्यूब वेल, 317049 वर्ग मीटर ग्रीन हाउस, 12 आधुनिक पुष्पोत्पादन केंद्र, खुंब इकाई-एक, 2851 कंपोस्ट ईकाइयां, 27752 किसानों/प्रशिक्षकों, 14083 महिलाओं को प्रशिक्षण के अलावा बाजार और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गईं।
वित्तीय स्थिति
वर्ष 2001-02 से 2008-09 तक मिशन के तहत 1538.60 करोड़ रूपए जारी किए गए जिसमें से 1122.37 करोड़ रूपए पूर्वोत्तर के तथा 415.63 करोड़ रूपए हिमालय क्षेत्र के राज्यों के लिए दिए गए। चालू वित्तीय वर्ष 2009-10 में 349 करोड़ रूपए में से 280 करोड़ रूपए पूर्वोत्तर के तथा 69 करोड़ रूपए हिमालय क्षेत्र के राज्यों के लिए हैं। ग्यारहवीं योजना के लिए आवंटित राशि 1500 करोड़ रूपए है लेकिन पूर्वोत्तर और हिमालय क्षेत्र के राज्यों की आवश्यकता पूरी करने के लिए इसको 2500 करोड़ रूपए की दर कम है।
इस योजना के अंतर्गत, महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराते हुए आत्मनिर्भर बनाना भी शामिल है ताकि महिलाएं भी मौजूदा कृषि प्रणाली से होने वाले लाभों को प्राप्त कर सकें। स्व-सहायता समूह बनाने के लिए महिला संगठनों को पर्याप्त संगठनात्मक, तकनीकी प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना। मिशन के तहत बागवानी के विभिन्न पहलुओं में 2007-08 में 51262 महिला उद्यमियों को और 2008-09 में अब तक 4037 को प्रशिक्षित किया गया है। केंद्रीय बागवानी संस्थान, मेजिफेमा, नगालैंड
पूर्वोत्तर क्षेत्र में बागवानी विकास की महत्ता को समझते हुए केंद्र सरकार ने नगालैंड में केंद्रीय बागवानी संस्थान की स्थापना को जनवरी, 2008 में मंजूरी दी जिसे पांच वर्ष में 20 करोड़ रूपए दिए जाएंगे। 10वीं योजना के लिए 8.35 करोड़ रूपए रखे गए हैं। संस्थान की स्थापना मेजिफेमा में 43.50 हेक्टेयर क्षेत्र में की जा रही है।
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