सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

आलू की उन्नत खेती कैसे करें ! Potato Cultivation in Hindi

आलू (Potato) विश्व में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और प्रयोग किया जाता है| आलू (Potato) की खेती भी लगभग पुरे विश्व में की जाती है| लेकिन इसका जनक अमेरिका है| भारत में इसकी उत्पति 16 वी सदी में पुर्तगालियों द्वारा मानी जाती है| यह पौष्टिक तत्वों का खजाना है, इसमें सबसे प्रमुख स्टार्क, जैविक प्रोटीन, सोडा, पोटाश और विटामिन ए व डी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है|

आलू (Potato) की सम्भावनाओं को देखते हुए, आलू की उन्नत खेती किसानो के लिए वरदान साबित हो सकती है| भारत में भी आलू की बड़े क्षेत्रफल में खेती की जाती है|

परन्तु अच्छी तकनीकी और जानकारी के आभाव में किसान भाई इसकी अच्छी पैदावार नही ले पाते है| यहां हम किसान भाइयों को उन छोटे छोटे उपायों से अवगत कराना चाहेगे| जिनको उपयोग में लाकर किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है|

आलू के लिए जलवायु (Climate for Potato)

1. इसकी अच्छी पैदावार के लिए शीत जलवायु की आवस्यकता होती है| आलू की वृद्धि और विकास के लिए 15 से 25 डिग्री, इसके अंकुरण के लिए 25 डिग्री, वनस्पति तरक्की के लिए 20 डिग्री और कन्द के विकास के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है|

2. 33 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर आलू (Potato) की खेती प्रभावित होती है, इसका विकास रुक जाता है|

उपयुक्त भूमि (Soil Suitable)

इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है| परन्तु अच्छे उत्पादन के लिए जीवांशयुक्त और भुरभरी और जल निकासी वाली भूमि उपयुक्त मानी जाती है| इसके साथ साथ बलुई दोमट और दोमट मिट्टी भी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है|इसकी खेती के लिए मिट्टी की अम्लीय और क्षारीय क्षमता (PH) मान 5.1 से 6.7 तक उपयुक्त माना जाता है| 

खेत की तैयारी (Farm Preparation) 

खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए| उसके साथ साथ 3 से 4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए| मिट्टी को भुरभुरा बना ले क्योकि यह मिट्टी की फसल है| जितनी भूमि की जुताई होगी उतनी ही पैदावार अच्छी होगी| खेत को समतल करने के लिए पत्ता लगाना ना भूले|

उन्नत किस्में (Advanced Varieties)

बेहतर पैदावार के लिए किस्म का चुनाव करना अति आवश्यक होता है| आलू (Potato) की सामान्य और संकर किस्में इस प्रकार है

संकर किस्में- 

1. कुफरी जवाहर जेएच 222- यह किस्म 100 से 110 दिन में तैयार हो जाती है, और यह झुलसा और फोम रोग की प्रतिरोधी किस्म है| इसकी पैदावार 270 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

2. ई 4486- यह किस्म 125 से 135 दिन में तैयार होती है, इसकी पैदावार 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टयर है|

बीज बुवाई (Sowing the Seed)

1. किसान भाइयों को चाहिए की वे बीज या तो सरकारी संस्थाओं से खरीदे या फिर विश्वसनीय एजेंसियों से ही प्राप्त करे| बुवाई के लिए 30 से 45 ग्राम वाले अच्छे अंकुरित बीज का उपयोग करना चाहिए| समान्यत आलू की 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है|

2. बीज को बुवाई से पहले उपचारित करना अति आवश्यक है, इसके लिए 3 ग्राम डाइथेन एम 45 या 2 ग्राम बाविस्टिन प्रति किलोग्राम बीज को पानी के घोल में 30 मिनट तक डुबो कर रखे और छाया में सुखाकर बुवाई करनी चाहिए|

3. आलू (Potato) की अगेती किस्मों की बुआई का उपयुक्त समय 1 से 20 सितंबर और सामान्य किस्मों का 10 से 15 अक्तूबर होता है| लाइन से लाइन की दुरी 60 सेंटीमीटर और आलू से आलू की दुरी उसके बीज के आकर पर निर्भर होती है छोटी के लिए 15 और बड़े के लिए 40 सेंटीमीटर उपयुक्त रहती है| मेड़ो में आलू 8 से 10 सेंटीमीटर निचे छोड़े|

जल और खाद प्रबंधन (Water and Fertilizer Management)

1. आलू (Potato) की फसल में सिंचाई आवश्यकतानुसार करनी चाहिए, आमतौर पर 8 से 10 सिंचाई होती है, पहली सिंचाई बुवाई के 10 से 15 दिन बाद करनी चाहिए और खुदाई के 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए|

2. अच्छी पैदावार के लिए बुवाई से पहले जुताई करते समय 150 से 200 टन गोबर की खाद मिटटी में मिलनी चाहिए, इसके साथ 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 120 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवस्यकता होती है| खाद की पूरी मात्रा बीज बुआई से पहले देनी चाहिए|

खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)

आलू (Potato) की बुवाई के 20 से 25 दिन बाद मेड़ों के बीच खुरपी, क्सोला, फावड़ा या अन्य यंत्र से निराई गुड़ाई करनी चाहिए| जिसे खरपतवार फसल को प्रभावित न करे और दूसरी निराई गुड़ाई में पौधों को मिटटी चढ़ानी चाहिए| यदि आप खरपतवार पर कीटनाशक से नियंत्रण चाहते है तो पेंडामेथलिन 30 प्रतिशत 3.5 लिटर का 900 से 1000 लिटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 2 दिन तक प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर सकते है| जिसे खरपतवार का जमाव ही नही होगा|

रोग व कीट रोकथाम (Disease and Pest Prevention)

1. आलू (Potato) की फसल में प्रमुख रोग झुलसा, पत्तियों का मुड़ना और चित्ती रोग है| इनके उपचार के लिए रोग रोधी किस्मो का चुनाव करना चाहिए| इसके साथ साथ रोगी पौधों को खेत से उखाड़ कर मिटटी में दबा देना चाहिए| कीटनाशक रोकथाम के तौर पर रोगों के लक्ष्ण दिखाई देने से पहले मैन्कोजेब 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर हर 7 से 10 दिन में छिड़काव करना चाहिए या 2 ग्राम डाइथेन एम 45 प्रति लिटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए|

2. इस फसल में प्रमुख कीट जैसिड और माहू जैसे फसल कुतरने वाले कीड़े लगते है इनकी रोकथाम के लिए 2 मिलीलीटर क्लोरोफयरिफास प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर हर 15 दिन में 3 बार छिड़काव करना चाहिए|

फसल की खुदाई और पैदावार (Crop Excavation and Production) 

1. आलू की फसल की खुदाई से पहले यह सुनिश्चित कर ले की किस्म कोन से है और पकने का समय क्या है, या फिर अच्छे भाव के लिए आप 8 से 10 दिन पहले भी खुदाई कर सकते है|

2. इसकी पैदावार किस्म और समय पर निर्भर करती है, वैसे आमतौर पर 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर समान्य किस्म की पैदावार होनी चाहिए|

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